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दिल्ली में बेस्ट मैरिज काउंसलर

क्या है मैरिज काउंसलिंग और इससे कैसे बचती हैं शादियां

जब तक बच्चे नहीं होते, तब तक सब सही चलता है, लेकिन बच्चे होने के बाद आपको अहसास होता है कि ये बराबरी का रिश्ता नहीं है। आपको लगता है कि मैं काम कर रही हूं, बीमार बच्चों को संभाल रही हूं, अपनी नौकरी से तालमेल बिठाने की कोशिश भी कर रही हूं.और वो सिर्फ इधर-उधर घूम रहा है

क्या है मैरिज काउंसलिंग?

मैरिज काउंसलिंग शादीशुदा जोड़ों के लिए की जाने वाली एक तरह की साइकोथेरेपी है जिसके जरिए उनके रिश्ते में आने वाली समस्याओं को दूर करने की कोशिश की जाती है। इसके तहत पति-पत्नी (या दोनों पार्टनर) एक साथ पेशेवर मनोवैज्ञानिक, काउंसलर या थेरेपिस्ट के पास जाते हैं और वो रिश्ते सुधारने की दिशा में दोनों की मदद करता है।

भारत में मैरिज काउंसलिंग

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डॉ. ज्योति मोंगा को मैरिज काउंसलिंग का 22 साल से ज़्यादा समय का अनुभव है। उनका मानना है कि भारत में मैरिज काउंसलिंग को टैबू की तरह (कोई ऐसी चीज़ जिसके बारे में बात करने की मनाही है) देखा जाता रहा है और अब भी ये टैबू जैसा ही है। हालांकि डॉ. ज्योति मोंगा ये भी मानती हैं कि पिछले एक दशक में भारतीयों के सोचने और जिंदगी जीने के तरीके में काफी बदलाव आया है और यही वजह है कि अब मैरिज काउंसलिंग के लिए आने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ी है।

डॉ. ज्योति मोंगा ने बीबीसी से कहा, "भारत में लोग काउंसलर के पास तब जाते हैं जब रिश्ता टूटने की कगार पर आ जाता है। जैसे कि अगर पति या पत्नी में से एक कहने लगे उसे तलाक चाहिए या फिर वो घर छोड़कर ही चला जाए। जब लोग ऐसी स्थिति में काउंसलर के पास आते हैं तब चीजों को काबू में करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है।

डॉ. ज्योति मोंगा के पास फिलहाल हर रोज कम से कम दो नए मामले आते हैं। वो कहती हैं, आज के युवाओं के सोचने का तरीका पिछली पीढ़ी के मुकाबले थोड़ा अलग है। वो चाहते हैं कि जिंदगी को भरपूर जिया जाए। फिल्मों और मीडिया की वजह से भी लोग मानसिक स्वास्थ्य और काउंसलिंग के बारे में जागरूक हुए हैं।

कौन करता है मैरिज काउंसलिंग?

डॉ. ज्योति मोंगा के मुताबिक उनके यहां आने वाला हर 10 में से एक मामला मैरिज काउंसलिंग से जुड़ा होता है। आम तौर पर वो साइकॉलजिस्ट और थेरेपिस्ट मैरिज काउंसलिंग करते हैं जिन्होंने इसके लिए खास प्रशिक्षण लिया है। हर साइकॉलजिस्ट की अलग-अलग दक्षता होती है। इनमें से कई लोग 'मैरिज और फैमिली काउंसलिंग' में विशेषज्ञता हासिल करते हैं।

भारत के अलग-अलग संस्थान छात्रों को मनोविज्ञान और 'मैरिज और फ़ैमिली काउंसलिंग' से जुड़ी ट्रेनिंग देते हैं। उदाहरण के तौर पर नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ ऐंड न्यूरोसाइंसेज़ (NIMHANS) भी फैमिली थेरेपी ट्रेनिंग देता है।

कौन आता है मैरिज काउंसलिंग के लिए?

डॉ. ज्योति मोंगा के मुताबिक उनके पास काउंसलिंग के लिए आने वालों में मिडिल क्लास, अपर मिडिल क्लास और रईस लोग आते हैं। इनमें भी ज्यादातर युवा जोड़े और लव मैरिज वाले कपल होते हैं। डॉ. ज्योति मोंगा के मुताबिक लव मैरिज के मामले ज्यादा आने की एक बड़ी वजह ये है कि आम तौर पर ऐसे जोड़े ज्यादा जागरूक होते हैं और ऐसे रिश्तों में एक दूसरे से असहमति जताने का स्कोप भी ज्यादा होता है। इसके अलावा, लव मैरेज में लोगों को अपने पार्टनर से कुछ ज्यादा ही उम्मीदें होती हैं। वो उम्मीदें जब पूरी नहीं होती तो रिश्ते में तनाव आता है। वहीं, डॉक्टर ज्योति मोंगा के मुताबिक उनके पास लव और अरेंज्ड मैरिज दोनों के मामले आते हैं।

किस तरह के मामले ज्यादा हैं?

  • कंपैटिबिलटी और पर्सनैलिटी की समस्या- शादीशुदा जोड़ों का स्वभाव, बर्ताव, विचार और ज़िंदगी जीने के तरीके अलग होने की वजह से होने वाली दिक्कतें
  • सास-ससुर और रिश्तेदारों के साथ होने वाली समस्या
  • विवाहोतर सम्बन्ध (एक्स्ट्रा मैरिटल अफ़ेयर)
  • पेरेंटिंग के मामले (बच्चों से जुड़ी समस्याएं)

इसके अलावा, इन दिनों कपल्स का एक-दूसरे को वक़्त न दे पाना, सोशल मीडिया (इंटरनेट) पर बहुत ज़्यादा ऐक्टिव होना, एक-दूसरे के लिए भावनात्मक तौर पर उपलब्ध न हो पाना जैसे मसले भी काफ़ी देखने को मिलते हैं।

कब जाना चाहिए मैरिज काउंसलिंग के लिए?

डॉ. ज्योति मोंगा के मुताबिक़ जब शादी में चल रही परेशानी की वजह से आपकी नींद, खाना और काम प्रभावित होने लगे तो आपको समझ लेना चाहिए कि काउंसलिंग का वक़्त आ गया है।

'परफेक्ट कपल' और 'परफेक्ट शादी'

डॉ. ज्योति मोंगा के मुताबिक हर रिश्ते में दिक्कतें आती हैं, हर शादी में दिक्कतें आती हैं और इन दिक्कतों को दूर भी किया जा सकता है।

डॉ. ज्योति मोंगा कहती हैं, "मेरे पास कई ऐसे कपल्स आते हैं जिन्हें बाहरी दुनिया परफेक्ट मानती है, दूसरे लोग उनसे सलाह लेते हैं, सोशल मीडिया पर उनकी तस्वीरें देखकर लगता है कि उनके बीच सबकुछ परफेक्ट है लेकिन असल में उनके रिश्ते में कई परेशानियां होती हैं।"

सिर्फ प्यार काफी है?

डॉ. ज्योति मोंगा की मानें तो शादी और पूरी जिंदगी के रिश्ते के संदर्भ में प्यार काफी 'ओवररेटेड' शब्द है। वो कहती हैं, "हर रिश्ते की तरह शादी में भी अलग-अलग पड़ाव आते हैं। बच्चे होने से पहले, बच्चे होने के बाद, बच्चों के बड़े होने पर और उनके पढ़-लिखकर घर से बाहर चले जाने के बाद.इन सबके दौरान शादीशुदा जोड़ों की जिंदगी और सम्बन्ध काफी हद तक बदलते हैं। बदलावों की इन लहरों में सिर्फ प्यार के सहारे नहीं टिका जा सकता ।

शादी में एक-दूसरे के लिए सम्मान, एक-दूसरे पर भरोसा, दोस्ती और समझदारी जैसी चीजें बेहद जरूरी होती हैं।

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