एजुस्पर्मिया (निल शुक्राणु) रोग क्या है.
एजुस्पर्मिया या निल शुक्राणु क्या है?
एजुस्पर्मिया के प्रकार -
1. ऑब्सट्रक्टिव एजुस्पर्मिया (Obstructive Azoospermia)- ऑब्सट्रक्टिव एजुस्पर्मिया में शुक्राणु तो बनते है परंतु वह अंडकोष के अवरुद्ध हो जाने के कारण वीर्य तक पहुचने में असमर्थ होते है।
2. नॉन-ऑब्सट्रक्टिव एजुस्पर्मिया (Non-obstructive Azoospermia)- नॉन-ऑब्सट्रक्टिव एजुस्पर्मिया जिन पुरुषों को होता है उनमें शुक्राणु नहीं बनते हैं या फिर न के बराबर बनते है। नॉन-ऑब्सट्रक्टिव एजुस्पर्मिया में शुक्राणु अंडकोष से निकलने में असमर्थ होते है।
एजुस्पर्मिया (निल शुक्राणु) के कारण -
आयुर्वेद के अनुसार एजुस्पर्मिया होने के कई कारण हो सकते हैं:
- संक्रमण
- अंडकोष में चोट लगना।
- आनुवंशिक
- नसबंदी
- सर्जरी
- जीवनशैली एवं अधिक शराब, धूम्रपान का सेवन इत्यादि।
एजुस्पर्मिया (निल शुक्राणु) का आयुर्वेदिक उपचार -
आयुर्वेदिक चिकित्सा दुनिया की सबसे प्राचीनतम चिकित्सा है। आयुर्वेदिक औषधियों के माध्यम से पुरुष वीर्य के शुक्राणुओं (स्पर्म काउंट) को बढ़ाया जाता है। आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति शरीर तथा मन की ऊर्जा में संतुलन स्थापित करती है। आयुर्वेद की पंचकर्म चिकित्सा पद्धति का एक भाग है अभ्यंग (मालिस) जिससे संपूर्ण शरीर के रक्त संचार में सुधार होता है।
आयुर्वेद के अनुसार हर किसी को प्रतिदिन अभ्यंग करना चाहिए। अभ्यंग करने से पुरुष के शरीर में ठीक प्रकार से रक्त का संचार होता है। रक्त संचार होने से पुरुष शरीर में शुक्राणु में तेजी से वृद्धि होती है। अभ्यंग के द्वारा शरीर के तीनों दोष (वात,पित्त एवं कफ दोष) को नियंत्रित किया जाता है।
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